नई दिल्ली:
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने आज कहा कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है। यह बात राज्यपाल थावरचंद गहलोत द्वारा मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) स्थल आवंटन घोटाले के संबंध में उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दिए जाने के कुछ घंटों बाद कही।
पत्रकारों से बात करते हुए श्री सिद्धारमैया ने कहा कि राज्यपाल का निर्णय “संविधान विरोधी” और “कानून के विरुद्ध” है।
विपक्ष द्वारा इस्तीफे की मांग किए जाने पर उन्होंने बेंगलुरू में संवाददाताओं से कहा, “इस पर अदालत में सवाल उठाया जाएगा। मैंने इस्तीफा देकर कोई गलत काम नहीं किया है।”
वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘पूरा मंत्रिमंडल, पार्टी हाईकमान, सभी विधायक, विधान पार्षद, लोकसभा और राज्यसभा सांसद मेरे साथ हैं।’’
श्री सिद्धारमैया ने इसे “भाजपा, जेडीएस और अन्य द्वारा लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को हटाने की साजिश” भी कहा।
श्री गहलोत ने तीन कार्यकर्ताओं – प्रदीप कुमार, टीजे अब्राहम और स्नेहमयी कृष्णा की याचिकाओं के बाद MUDA भूमि घोटाला मामले में उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है।
जुलाई में लोकायुक्त पुलिस में दर्ज कराई गई शिकायत में श्री अब्राहम ने आरोप लगाया था कि श्री सिद्धारमैया की पत्नी बी.एम. पार्वती को मैसूर के एक पॉश इलाके में 14 वैकल्पिक स्थलों का आवंटन अवैध था, जिससे सरकारी खजाने को 45 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
शिकायत में श्री सिद्धारमैया, उनकी पत्नी, पुत्र एस यतीन्द्र और MUDA के वरिष्ठ अधिकारियों का नाम शामिल है।
एक अन्य कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा ने भी कथित भूमि घोटाले में श्री सिद्धारमैया, उनकी पत्नी और MUDA तथा प्रशासनिक अधिकारियों की संलिप्तता का आरोप लगाया। पुलिस ने कहा कि मामले में पहले से ही जांच चल रही है, इसलिए नई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई।
श्री सिद्धारमैया ने दावा किया था कि जिस ज़मीन के लिए उनकी पत्नी को मुआवज़ा मिला है, वह उनके भाई मल्लिकार्जुन ने 1998 में उपहार में दी थी। लेकिन कार्यकर्ता कृष्णा ने आरोप लगाया कि मल्लिकार्जुन ने 2004 में इसे अवैध रूप से खरीदा था और सरकारी और राजस्व अधिकारियों की मदद से जाली दस्तावेज़ों का उपयोग करके इसे पंजीकृत कराया था। यह ज़मीन 1998 में खरीदी गई दिखाई गई थी।
सुश्री पार्वती ने 2014 में इस भूमि के लिए मुआवजे की मांग की थी, जब श्री सिद्धारमैया मुख्यमंत्री थे।
“षड्यंत्र”: डीके शिवकुमार ने सिद्धारमैया का समर्थन किया
कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने शनिवार को इसे एक “षड्यंत्र” करार दिया और कहा कि राज्य सरकार श्री सिद्धारमैया के समर्थन में अपनी पूरी ताकत लगा देगी।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, “हम इसके खिलाफ कानूनी रूप से लड़ेंगे और हम इसके खिलाफ राजनीतिक रूप से भी लड़ेंगे… यह कुछ और नहीं बल्कि पिछड़े वर्ग के सिद्धारमैया के खिलाफ एक स्पष्ट साजिश है, जो दूसरी बार सरकार चला रहे हैं।”
उन्होंने संवाददाता सम्मेलन में कहा, “वे (भाजपा) राज्यपाल के कार्यालय का इस्तेमाल कर सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है…उनके इस्तीफा देने का सवाल ही नहीं उठता। वह अपने पद पर बने रहेंगे।”
पत्रकारों से बात करते हुए कर्नाटक के मंत्री कृष्ण बायरेगौड़ा ने भी कहा कि राज्यपाल द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया “पूरी तरह से अवैध” थी।