Chanakya Nitiआचार्य चाणक्य के 10 अनमोल विचार जो आपकी जिंदगी बदल देगी!
यदि स्वयं के हाथ में विष फ़ैल रहा है तो उसे काट देना चाहिए।
लोहे को लोहे से ही काटना चाहिए।
यदि माता दुष्ट है तो उसे भी त्याग देना चाहिए।
संकट में केवल बुद्धि ही काम आती है।
वन की अग्नि चन्दन की लकड़ी को भी जला देती है अर्थात दुष्ट व्यक्ति किसी का भी अहित कर सकते है।
ऋण, शत्रु और रोग को समाप्त कर देना चाहिए।
किसी विशेष प्रयोजन के लिए ही शत्रु मित्र बनता है।
निकट के राज्य स्वभाव से शत्रु हो जाते है।
पडोसी राज्यों से सन्धियां तथा पारस्परिक व्यवहार का आदान-प्रदान और संबंध विच्छेद आदि का निर्वाह मंत्रिमंडल करता है।
निर्बल राजा को तत्काल संधि करनी चाहिए।