उम्र सिर्फ़ एक संख्या है। कुछ भारतीय खिलाड़ियों ने अपने प्रदर्शन से यह साबित भी किया है। ऐसे खिलाड़ियों की एक लंबी सूची है जिसमें एमएस धोनी और पीयूष चावला जैसे खिलाड़ी शामिल हैं। ये दोनों अभी भी इंडियन प्रीमियर लीग में सक्रिय हैं। चावला 35 साल के हैं, वहीं 43 वर्षीय धोनी भी बढ़िया वाइन की तरह बूढ़े हो रहे हैं। दोनों खिलाड़ी आईपीएल 2024 का हिस्सा थे। धोनी चेन्नई सुपर किंग्स के लिए खेले और चावला मुंबई इंडियंस के लिए खेले। हालाँकि ये दोनों ही क्रिकेट के खेल से संन्यास लेने के करीब हैं, लेकिन न तो धोनी और न ही चावला ने इस फैसले के प्रति कोई दिलचस्पी दिखाई है।
अपने शो के होस्ट शुभंकर मिश्रा ने पूछा, “क्या पीयूष चावला पहले संन्यास लेंगे या एमएस धोनी?”
चावला ने हंसते हुए जवाब दिया, “माही भाई (एमएस धोनी)”।
अनुभवी भारतीय स्पिनर ने कहा, “कुछ समय पहले पृथ्वी शॉ ने मुझसे कहा था ‘पीसी भाई बस करो यार अब’। मैंने कहा, मैं सचिन पाजी के साथ खेल चुका हूं और अब उनके बेटे के साथ खेल रहा हूं। मैं आपके साथ खेल रहा हूं और आपके बेटे के साथ खेलने के बाद मैं संन्यास ले लूंगा।”
चावला ने 2007 में भारत के लिए पदार्पण किया था। एमएस धोनी के भारतीय टीम के साथी होने के अलावा, चावला भारत की 2007 टी20 विश्व कप और 2011 वनडे विश्व कप विजेता टीमों के सदस्य भी रहे हैं। उल्लेखनीय है कि धोनी दोनों ही आयोजनों में टीम के कप्तान थे।
धोनी ने 2020 में अपने अंतरराष्ट्रीय करियर को अलविदा कह दिया, लेकिन चावला ने अपने संन्यास की कोई औपचारिक घोषणा नहीं की है।
एक अन्य साक्षात्कार में धोनी के पूर्व भारतीय साथी मोहम्मद शमी ने खिलाड़ी की संन्यास की रणनीति का खुलासा किया था।
शमी ने शुभंकर मिश्रा के यूट्यूब चैनल पर कहा था, “आप (मीडिया) लोग उनके भविष्य पर सवालिया निशान लगा रहे हैं। वह खुद कह रहे हैं, ‘देखा जाएगा’।”
“मैंने माही भाई से इस बारे में बात की थी और पूछा था कि ‘एक खिलाड़ी को कब संन्यास ले लेना चाहिए?’ उन्होंने कहा, ‘पहला जब आप खुद बोर हो जाएं और दूसरा, जब लगे की लत पड़ने वाली हो।’
शमी ने कहा, “लेकिन सबसे पहली और महत्वपूर्ण बात यह है कि जब आप खेल का आनंद लेना बंद कर देते हैं, तो यह संकेत है कि आपका समय आ गया है। बेहतर होगा कि आप संन्यास लेने के लिए सबसे अच्छा क्षण चुनें। क्योंकि अगर आप किसी विशेष प्रारूप में टिक नहीं पाते हैं तो आपका शरीर आपको संकेत देना शुरू कर देता है। यही वह समय होता है जब खिलाड़ी को संन्यास ले लेना चाहिए।”
इस लेख में उल्लिखित विषय